Deputy Collector / SDM //POWER, SALARY, & BENEFITS ,
उप जिला अधिकारी /उप जिला अध्यक्ष या डिप्टी कलेक्टर Deputy Collector ,राज्य प्रशासनिक सेवाओं का सबसे महत्वपूर्ण पद माना जाता है।
इस पद को प्राप्त करने के बाद क्या-क्या सुविधाएं मिलती है?
किन-किन शक्तियों का उपयोग विद्यार्थी, एक लोक सेवक बनने के बाद कर सकता है ,?
इन सभी मुद्दों की चर्चा विस्तृत रूप से करेंगे.....
इन सभी मुद्दों की चर्चा विस्तृत रूप से करेंगे.....
उप जिला अध्यक्ष या डिप्टी कलेक्टर Deputy Collector /SDM का पद राज्य प्रशासनिक सेवाओं का सबसे बड़ा पद होता है ।
कई सुविधाओं और कई शक्तियों के कारण यह पद राज्य प्रशासनिक सेवा का सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है,इस पद पर चयन होने के उपरांत मिलने वाली सुविधाओं, विभिन्न शक्तियों एवं कार्य करने के व्यापक क्षेत्र को देखते हुए लाखों विद्यार्थी प्रतिवर्ष इस पद की तरफ आकर्षित होते हैं ,तथा कड़ी मेहनत करते हैं?एक डिप्टी कलेक्टर को कितनी सैलरी मिलती है ??

SALARY OF A Deputy Collector /SDM
वर्तमान समय में एक उप जिलाधिकारी को जो कि राज्य प्रशासनिक सेवा का सबसे उच्च अधिकारी होता है , तथा यह सेवाओं की श्रेणियों के लिहाज से द्वितीय श्रेणी का पद माना जाता है। तथा इस पद का वेतन सेवा में आने की प्रथम माह से ही लगभग ₹70000 के आसपास बनता है ।जिसमें मूल वेतन 56100 रहता है ,जो कि सातवें वेतनमान के हिसाब से मैट्रिक्स लेवल 12 में आता है ।तथा इसके साथ ही साथ राज्य शासन के द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न भक्तों जिससे महंगाई भत्ता, आवास भत्ता एवं अन्य प्रकार के भत्तों ,को भी प्राप्त करने के लिए पात्र होता है।Deputy Collector /SDM को मिलने वाली सुविधाएं
निशुल्क आवास स्थान

शासकीय वाहन

इसके अलावा उसे अपने बंगले पर माली ,चपरासी ,रसोइए, एवं अन्य कार्य हेतु पर्याप्त मात्रा में नौकर या सहायकों की उपलब्धता होती है।
एक डिप्टी कलेक्टर या एसडीएम की शक्तियां
यहां पर एसडीएम और डिप्टी कलेक्टर Deputy Collector की शक्तियों में कुछ असमानता है। हालांकि पद पर मिलने वाली सुविधाएं वेतन आदि में दोनों पदों में पूरी समानता मिलती है ।परंतु शक्तियों के उपयोग में इन दोनों ही पदों में कुछ विभिन्नता मिलती है ,जैसे कि एसडीएम के पद को मजिस्ट्रियल पावर होती है ,जिसका उपयोग वह जनहित में ,धारा 144, कर्फ्यू लगाने या धारा 188 के पालन में उपयोग करता है ।वहीं डिप्टी कलेक्टर के पास इस प्रकार की शक्तियां उपलब्ध नहीं होती है।डिप्टी कलेक्टर यानी कि उप जिला अधिकारी एवं एसडीएम अर्थात उपखंड मजिस्ट्रेट दोनों में क्या अंतर है??
DIFFERENCE BETWEEN Deputy Collector AND SDM
प्रारंभिक चयन की स्थिति पर या चयन के स्तर पर दोनों में कोई अंतर नहीं होता है ।अलग अलग राज्य सरकारों के द्वारा अपने भर्ती नियमों के अनुसार किन्ही राज्यों में जैसे कि मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,गुजरात आदि में राज्य प्रशासनिक सेवाओं के विज्ञापन में इस पद का नाम उपजिलाधिकारी Deputy Collector होता है ।अर्थात इन राज्यों में प्रतिभागी का चयन उप जिला अधिकारीDeputy Collector के पद पर होता है ।वहीं कुछ राज्यों में जैसे कि उत्तर प्रदेश ,राजस्थान ,उत्तराखंड, इन राज्यों में अपने भर्ती विज्ञापनों में सीधे ही एसडीएम SDM पद लिखा रहता है ।
अब यहां पर आपके मन में प्रश्न आ रहा होगा कि आखिर इन दोनों ही पदों में क्या अंतर है ??
उसका जवाब इस लेख में में पहले ही दे चुका हूं ,फिर भी एक बार और पुनः में दोहराता हूं कि ,इन दोनों ही पदों में मुख्य अंतर दंडाधिकारी अर्थात मजिस्ट्रियल पावर को लेकर है, एसडीएम नाम से ही पता चल रहा है सब डिविजनल मजिस्ट्रेट । जब तक डिप्टी कलेक्टर को यह चार्ज ना मिल जाए तब तक उसको मजिस्ट्रियल पावर नहीं मिलती ।
उम्मीद करता हूं कि आपको इन दोनों में अंतर समझ में आ गया होगा।
Deputy Collector /SDM बनने के लिए क्या-क्या अर्हता है होना आवश्यक है ??
एक डिप्टी कलेक्टर /एसडीएम बनने के लिए राज्य प्रशासनिक सेवा के भर्ती विज्ञापनों में आवेदन करने के लिए कुछ न्यूनतम योग्यताएं होना आवश्यक है ।
जैसे कि उम्र 21 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए, अधिकतम उम्र अलग-अलग राज्यों के भर्ती नियमों के अनुसार भिन्न भिन्न होती है। दूसरा वह व्यक्ति अपनी स्नातक की उपाधि प्राप्त कर चुका हो या अंतिम वर्ष में अध्ययनरत हो ऐसे दोनों प्रकार के विद्यार्थी राज्य प्रशासनिक सेवा की भर्ती परीक्षा में आवेदन के पात्र माने जाते हैं।
कैसे करें तैयारी ??
एक डिप्टी कलेक्टर या उप जिलाधिकारी या एसडीएम Deputy Collector /SDM बनने के लिए प्रतिभागियों को तैयारी कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही प्रारंभ कर देना चाहिए ।अगर विद्यार्थियों को सिविल सेवा में अपना करियर बनाना है तो इसकी तैयारी का सबसे उपयुक्त समय कॉलेज के दौरान ही प्रारंभ हो जाता है या यूं कहिए की सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी का समय कॉलेज के साथ ही प्रारंभ हो जाता है शुरुआती दिनों में कुछ विशेष किताबों को गहराई से पढ़ने से ज्यादा अच्छा है कि विभिन्न सामाजिक मुद्दों जैसे राजनीति अर्थशास्त्र ,स्वास्थ समस्याएं आदि मुद्दों पर अपनी समझ विकसित करना चाहिए।
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1 टिप्पणियाँ:
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