[imp*]मृदा अपरदन के कारण एवं मृदा संरक्षण के उपाय

 मृदा अपरदन के कारण एवं मृदा संरक्षण के उपाय 


मृदा अपरदन के कारण एवं मृदा संरक्षण के उपाय



मृदा अपरदन के क्या कारण है ?  तथा रोकने के उपाय क्या है?  

बहते हुए जल अथवा वायु द्वारा मृदा के आवरण का हटना मृदा अपरदन कहलाता है।


          मृदा अपरदन के कारण-


मानव द्वारा वनों का विनाश-

मानव के द्वारा पेड़ों की अत्यधिक कटाई  भी मृदा अपरदन का एक बड़ा कारण है ,पेड़ पौधे अपनी जड़ों में मिट्टी को पकड़ कर रखते हैं जिससे मिट्टी का कटाव नहीं होता है ,लेकिन पेड़-पौधों वनों के विनाश के कारण  मृदा अपरदन हो रहा है।


अत्यधिक पशु चारण-

पशुओं को नित्य व लगातार बार-बार किसी एक ही स्थान पर चढ़ाने से वहा की वनस्पति धीरे धीरे नष्ट होने लगती है जिससे वह भूमि बंजर हो जाती है तथा पानी के द्वारा मिट्टी का कटाव मृदा अपरदन का कारण बनता है।


आदिवासियों द्वारा झूमिंग कृषि करना-

आदिवासियों का ठिकाना कहीं एक जगह नहीं होता है ,वह जंगलों पहाड़ियों में आज एक जगह पर तो कल दूसरी जगह पर निवास करने लगते हैं ,और जहां वह जाते हैं उस जगह के पेड़ पौधे व घास को काटकर उस भूमि को कृषि योग्य बना लेते हैं जिससे पेड़ पौधों की जड़ों द्वारा मिट्टी को छोड़ देने पर वहां मृदा अपरदन होता है।


पवन अपरदन-

 पर्वतीय भूभाग या पठारी भाग या रेगिस्तान में अत्यधिक वायु के कारण मिट्टी के बारीक कण उड़ते जाते है जिससे पवन अपरदन होता है।


अवैज्ञानिक तरीके से कृषि-

कृषि में वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग न करते हुए अवैज्ञानिक ढंग से कृषि करना जिससे भूमि धीरे धीरे उपजाऊ नहीं बनी रहती है जिससे मृदा अपरदन होता है।


 मृदा संरक्षण के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं-


  1. पहाड़ी एवं पर्वतीय क्षेत्रों में सीढ़ीदार खेत में फसल उगाना।
  2. खेतों में बंधीकाए बनाकर नालीदार अपरदन को रोकना।
  3. शुष्क प्रदेशों में पवन की गति को रक्षक मेखला ( पेड़ पौधों की बाड़) द्वारा कम करके मृदा अपरदन को रोकना।
  4. पर्वतीय ढालो एवं ऊंचे नीचे क्षेत्रों में बहते हुए जल का संग्रह करना।
  5. ग्रामीण क्षेत्रों में चारागाहो का विकास करना।
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